Lord Krishna Quotes
(
भगवान कृष्ण
)
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥४-७॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥४-८॥ “ आत्म-विनाश और नरक के तीन द्वार हैं : वासना, क्रोध और लालच। ” – भगवान कृष्ण
“There are three gates to self-destruction and hell: Lust, Anger & Greed.” – Lord Krishna “ अपने काम पर अपना दिल लगाओ लेकिन उसके परिणाम पर नहीं। ” – भगवान कृष्ण “Set your heart upon your work but not on its result.” – Lord Krishna “ सभी प्रकार के हत्यारों के बीच, समय परम है क्योंकि समय सब कुछ मारता है। ” – भगवान कृष्ण “Among all kinds of killers, time is the ultimate because time kills everything.” – Lord Krishna “ खुशी मन की एक स्थिति है, जिसका बाहरी दुनिया से कोई लेना-देना नहीं है। ” – भगवान कृष्ण “Happiness is a state of mind, that has nothing to do with the external world.” – Lord Krishna “ जो भी हुआ अच्छा हुआ। जो हो रहा है अच्छा हो रहा है, जो भी होगा अच्छा होगा। भविष्य के बारे में चिंता मत करो। वर्तमान में जियो। ” – भगवान कृष्ण ”Whatever happened was good. What’s happening is going well. Whatever will happen will also be good. Do not worry about the future. Live in the present.” – Lord Krishna “ जिस तरह से आप मुझ पर अधिकार प्राप्त कर सकते हैं वह केवल प्रेम के माध्यम से है, और वहाँ मैं ख़ुशी से आपके अधीन हो जाऊँगा। ” – भगवान कृष्ण “The only way you can conquer me is through love, and there I am gladly conquered.” – Lord Krishna “ तुम बेकार की चिंता क्यों करते हो ? तुम किससे डरते हो ? कौन तुम्हें मार सकता है ? आत्मा न तो पैदा होती है और न ही मरती है। ” – भगवान कृष्ण “Why do you worry unnecessarily? Whom do you fear? Who can kill you? The soul is neither born nor dies.” – Lord Krishna “ धीरज, कोमलता, मौन, आत्म-संयम और पवित्रता : ये मन के अनुशासन हैं। ” – भगवान कृष्ण
“Calmness, gentleness, silence, self-restraint, and purity: these are the disciplines of the mind.” – Lord Krishna “ जब कोई व्यक्ति दूसरों की खुशियों और दुखों का प्रतिक्रिया देता है, जैसे कि वह उसका अपना था, तो उसने उच्चतम आध्यात्मिक संघ प्राप्त किया है। ” – भगवान कृष्ण “When a person responds to the joys and sorrows of others as though they were his own, he or she has attained the highest spiritual union.” – Lord Krishna “ अपने अनिवार्य कर्तव्य का पालन करें, क्योंकि क्रिया वास्तव में निष्क्रियता से बेहतर है। ” – भगवान कृष्ण “Perform your obligatory duty, because action is indeed better than inaction.” – Lord Krishna “मैं श्रेष्ठ हूँ” यह आत्मविश्वास है ! !, लेकिन “सिर्फ मैं ही श्रेष्ठ हूँ” यह अहंकार है ” – भगवान कृष्ण “I am the best” This is confidence !!, But “Only I am the best” is arrogance” – Lord Krishna “ इच्छा पूरी नहीं होती तो क्रोध बढ़ता है, और इच्छा पूरी होती है तो लोभ बढ़ता है। इसलिये जीवन की हर स्थिति में धैर्य बनाये रखना ही श्रेष्ठता है। ” – भगवान कृष्ण “If desire is not fulfilled, anger grows, and desire is fulfilled, greed increases. Therefore, it is best to be patient in every situation of life. “– Lord Krishna “ क्रोध से भ्रम पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है. जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है। ” – भगवान कृष्ण “Anger causes confusion. Confusion distracts the intellect. When the intellect is distracts then logic is destroyed. When the logic is destroyed then the person collapses.”– Lord Krishna “ ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, वही सही मायने में देखता है। ” – भगवान कृष्ण “A knowledgeable person sees knowledge and action in one form, he sees it in the true sense.”– Lord Krishna “ जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है। ” – भगवान कृष्ण “For those who do not control the mind, it acts like an enemy.”– Lord Krishna ‘ ‘ ना हार ना जीत चाहिए, जीवन मे अच्छी सफलता के लिए
परिवार और कुछ दोस्त का साथ चाहिऐ. ! ” – भगवान कृष्ण “No loser” “Don’t want to win” For good success in life Wish family and some friends together .!– Lord Krishna
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