तुम्हारी यादें हैं जब तक,
मेरी हर साँस जिन्दा है तब तक… ! !
इश्क न हुआ कोहरा हो जैसे,
तुम्हारे सिवा कुछ दिखता ही नहीं… ! !
जिसका ये ऐलान है कि वो मज़े में है,
या तो वो फ़कीर है या फिर नशे में है… ! !
तुम ही रख लो अपना बना कर,
औरों ने तो छोड़ दिया तुम्हारा समझकर… ! !
दो मुलाकात क्या हुई हमारी तुम्हारी,
निगरानी में सारा शहर लग गया… ! !
वक़्त को भी हुआ है ज़रूर किसी से इश्क़,
जो वो बेचैन है इतना कि ठहरता ही नहीं… ! !
नींद सोती रहती है हमारे बिस्तर पे,
और हम टहलते रहते हैं तेरी यादों में… ! !
2-Line-Shayari
किसी की आदत बन जाओ,
मोहब्बत खुद बन जाओगे… ! !
उड़ जायेंगे तस्वीरों से रंगो की तरह हम,
वक़्त की टहनी पर हैं परिंदो की तरह हम… ! !
तुम्हें गुमां है कि मैं जानता नहीं कुछ भी,
मुझे ख़बर है कि रस्ता बदल रहे हो तुम… ! !
उठा लो दुपट्टे को ज़मीन से कहीं दाग़ न लग जाए,
पर्दे में रखो चेहरे को कहीं आग न लग जाए… ! !
टूटे हुए दिल भी धड़कते है उम्र भर,
चाहे किसी की याद में या फिर किसी फ़रियाद में… ! !
बेकसूर कोई नहीं इस ज़माने में,
बस सबके गुनाह उजागर नहीं होते… ! !
जो रोशनी में खड़े हैं वो जानते ही नहीं,
हवा चले तो चिरागों की जिंदगी क्या है… ! !
मैंने देखा है बहारों में चमन को जलते,
है कोई ख्वाब की ताबीर बताने वाला… ! !
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गिरना था जो आपको तो सौ मक़ाम थे,
ये क्या किया कि निगाहों से गिर गए… ! !
पहले ज़मीं बँटी फिर घर भी बँट गया,
इंसान अपने आप में कितना सिमट गया… ! !
आइना कोई ऐसा बना दे, ऐ खुदा जो,
इंसान का चेहरा नहीं किरदार दिखा दे… ! !
इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं,
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद… ! !
अब तो चलते हैं बुतकदे से ऐ मीर,
फिर मिलेंगे गर खुदा लाया… ! !
बहुत से लोग थे मेहमान मेरे घर लेकिन,
वो जानता था कि है एहतमाम किसके लिए… ! !
सुकून मिलता है दो लफ्ज़ कागज पे उतार कर,
कह भी देता हूँ और आवाज भी नहीं होती… ! !
यहाँ लिबास की कीमत है आदमी की नहीं,
मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दें… ! !
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हाथ पर हाथ रखा उसने तो मालुम हुआ,
अनकही बात को किस तरह सुना जाता है… ! !
करते हैं मेरी कमियों को बयान ऐसे,
लोग अपने किरदार में फ़रिश्ते हों जैसे… ! !
शायद कोई तराश कर मेरी किस्मत संवार दे,
यह सोच कर हम उम्र भर पत्थर बने रहे… ! !
हर इक रात में सौ बार जला और बुझा हूँ,
मुफ़्लिस का दिया हूँ मगर आँधी से लड़ा हूँ… ! !
वो पहले सा कहीं मुझको कोई मंज़र नहीं लगता,
यहाँ लोगों को देखो अब ख़ुदा का डर नहीं लगता… ! !
करम ही करना है तुझको तो ये करम कर दे,
मेरे खुदा तूँ मेरी ख्वाहिशों को कम कर दे… ! !
ये पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाए,
अगर परिंदे भी हिन्दू और मुस्लमान हो जाए… ! !
मेरी शायरी का असर उनपे हो भी तो कैसे हो,
कि मैं एहसास लिखता हूँ तो वो अल्फाज़ पढ़ते हैं… ! !
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दोष कांटो का कहाँ हमारा है जनाब,
पैर हमने रखा वो तो अपनी जगह पे थे… ! !
कोई ताबीज़ ऐसा दो कि मैं चालाक हो जाऊं,
बहुत नुकसान देती है मुझे ये सादगी मेरी… ! !
वाकिफ था मेरी खाना-खराबी से वो शख्स,
जो मुझसे मेरे घर का पता पूछ रहा था… ! !
हवा से कह दो खुद को आज़मा के दिखाये,
बहुत चिराग बुझाती है एक जला के दिखाये… ! !
उसके हाथों का खिलौना ही सही खुश हूँ मैं,
कुछ देर के लिए ही सही मुझे चाहता तो है… ! !
उदासियों कि वजह तो बहुत हैं ज़िंदगी में,
बेवजह खुश रहने का मजा ही कुछ और है… ! !
बहुत अजीब से हो गए हैं ये रिश्ते आजकल,
सब फुरसत में हैं पर वक़्त किसी के पास नहीं… ! !
ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दरिया है,
हद्द-ए-निगाह तक जहाँ ग़ुबार ही ग़ुबार है… ! !
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तारीफ़ अपने आप की करना फ़िज़ूल है,
ख़ुशबू खुद बता देती है कौन सा फ़ूल है… ! !
मौत ने आँखें मिलाई थी कई बार मुझसे,
पर तेरा दीवाना किसी और पे मरता कैसे… ! !
कभी मैं तो कभी ये बात बदल रही है,
कमबख्त नींद से मेरी लड़ाई चल रही है… ! !
दिल अधूरी सी कहानियों का अंत ढूंढता रहा,
और वो कोरा पन्ना मुझे देर तक घूरता रहा… ! !
जिंदगी में कुछ ऐसे लोग भी मिलते है,
जिन्हें हम पा नहीं सकते सिर्फ चाह सकते हैं… ! !
मंजिल का नाराज होना भी जायज था,
हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे थे… ! !
तुम और तुम्हारी हर बात मेरे लिए ख़ास है,
यहीं शायद मोहब्बत का पहला अहसास है… ! !
हमारा कत्ल करने की उनकी साजीश तो देखो,
गुजरे जब करीब से तो चेहरे से पर्दा हटा लिया… ! !
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न रुकी वक़्त की गर्दिश न ज़माना बदला,
पेड़ सूखा तो परिंदों ने ठिकाना बदला… ! !
गलत सुना था कि मोहब्बत आँखों से होती है,
दिल तो वो भी चुरा लेते हैं जो पलकें नहीं उठाते… ! !
मत खाओ कसमे सारी ज़िन्दगी साथ निभाने की,
हम ने साँसो को भी जुदा होते देखा है… ! !
जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने,
अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं… ! !
नींद चुराने वाले पूछते हैं सोते क्यों नही,
इतनी ही फिक्र है तो फिर हमारे होते क्यों नही… ! !
कद बढ़ा नहीं करते, ऐड़ियां उठाने से,
ऊंचाईया तो मिलती हैं, सर झुकाने से… ! !
दो शब्द तसल्ली के नहीं मिलते इस शहर में,
लोग दिल में भी दिमाग लिए घूमते हैं… ! !
नजरों में दोस्तों की जो इतना खराब है,
उसका कसूर ये है कि वो कामयाब है… ! !
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खूब हौसला बढ़ाया आँधियों ने धूल का,
मगर दो बूँद बारिश ने औकात बता दी… ! !
बे-फिजूली की जिंदगी का सिल-सिला ख़त्म,
जिस तरह की दुनिया उस तरह के हम… ! !
हम उस तकदीर के सबसे पसंदीदा खिलौने हैं,
वो रोज़ जोड़ती है मुझे फिर से तोड़ने के लिए… ! !
जिन जख्मो से खून नहीं निकलता समझ लेना,
वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है… ! !
इतना कहाँ मशरूफ हो गए हो तुम,
आजकल दिल दुखाने भी नहीं आते… ! !
तेरी मोहब्बत को कभी खेल नही समझा,
वरना खेल तो इतने खेले है कि कभी हारे नही… ! !
आजकल देखभाल कर होते हैं प्यार के सौदे,
वो दौर और थे जब प्यार अन्धा होता था… ! !
मेरे इरादे मेरी तक़दीर बदलने को काफी हैं,
मेरी किस्मत मेरी लकीरों की मोहताज़ नहीं… ! !
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कुछ अलग सा है अपनी मोहब्बत का हाल,
तेरी चुप्पी और मेरा सवाल… ! !Read more: 200 Best Whatsapp Statuses
अपनी हार पर इतना शकून था मुझे,
जब उसने गले लगाया जीतने के बाद… ! !
हम ने रोती हुई आँखों को हँसाया है सदा,
इस से बेहतर इबादत तो नहीं होगी हमसे… ! !
कौन कैसा है ये ही फ़िक्र रही तमाम उम्र,
हम कैसे हैं ये कभी भूल कर भी नही सोचा… ! !
सीख नहीं पा रहा हूँ मीठे झूठ बोलने का हुनर,
कड़वे सच से हमसे न जाने कितने लोग रूठ गये… ! !
यहाँ सब खामोश हैं कोई आवाज़ नहीं करता,
सच बोलकर कोई, किसी को नाराज़ नहीं करता… ! !
दुनिया फ़रेब करके हुनरमंद हो गई,
हम ऐतबार करके गुनाहगार हो गए… ! !
अगर बिकने पे आ जाओ तो घट जाते हैं दाम अक्सर,
न बिकने का इरादा हो तो क़ीमत और बढ़ती है… ! !
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हमारी शायरी पढ़कर बस इतना ही बोले वो,
कलम छीन लो इनसे लफ्ज़ दिल चीर देते हैं… ! !
हुआ सवेरा तो हम उनके नाम तक भूल गए,
जो बुझ गए रात में चिरागों की लौ बढ़ाते हुए… ! !
दिल से दिल मिले या न मिले हाथ मिलाओ,
हमको ये सलीका भी बड़ी देर से आया… ! !
मिलने को तो हर शख्स एहतराम से मिला,
पर जो मिला किसी न किसी काम से मिला… ! !
आप की खा़तिर अगर हम लूट भी लें आसमाँ,
क्या मिलेगा चंद चमकीले से शीशे तोड़ के… ! !
पांवों के लड़खड़ाने पे तो सबकी है नज़र,
सर पे कितना बोझ है कोई देखता नहीं… ! !
एक रास्ता ये भी है मंजिलों को पाने का,
सीख लो तुम भी हुनर हाँ में हाँ मिलाने का… ! !
जब तक था दम में दम न दबे आसमाँ से हम,
जब दम निकल गया तो ज़मीं ने दबा लिया… ! !
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पूछा न जिंदगी में किसी ने भी दिल का हाल,
अब शहर भर में ज़िक्र मेरी खुदकुशी का है… ! !
आईना फैला रहा है खुदफरेबी का ये मर्ज,
हर किसी से कह रहा है आप सा कोई नहीं… ! !
ज़िंदा रहने की अब ये तरकीब निकाली है,
ज़िंदा होने की खबर सब से छुपा ली है… ! !
निकल आते हैं आँसू गर जरा सी चूक हो जाये,
किसी की आँख में काजल लगाना खेल थोड़े ही है… ! !
मिले जो मुफ्त में उस चीज की कीमत नहीं होती,
हुई है कद्र हर इक साँस की जब वक़्त आया है… ! !
वही ज़मीन है वही आसमान वही हम तुम,
सवाल यह है ज़माना बदल गया कैसे… ! !
कभी तो अपने अन्दर भी कमियां ढूंढे,
ज़माना मेरे गिरेबान में झाँकता क्यूँ हैं… ! !
कागज़ों पे लिख कर ज़ाया कर दूँ मैं वो शख़्स नहीं,
वो शायर हूँ जिसे दिलों पे लिखने का हुनर आता है… ! !
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जो मुँह तक उड़ रही थी अब लिपटी है पाँव से,
बारिश क्या हुई मिट्टी की फितरत बदल गई… ! !
हाथ टूटें मैंने गर छेड़ी हों ज़ुल्फ़ें आप की,
आप के सर की क़सम बाद-ए-सबा थी मैं न था… ! !
मेरे जुनून को ज़ुल्फ़ के साए से दूर रख,
रस्ते में छाँव पा के मुसाफ़िर ठहर न जाए… ! !
भूले हैं रफ्ता-रफ्ता उन्हें मुद्दतों में हम,
किश्तों में खुदकुशी का मज़ा हम से पूछिए… ! !
किश्तों में खुदकुशी कर रही है ये जिन्दगी,
इंतज़ार तेरा मुझे पूरा मरने भी नहीं देता… ! !
कांटे किसी के हक में किसी को गुलो-समर,
क्या खूब एहतमाम-ए-गुलिस्ताँ है आजकल… ! !
फिर नज़र में फूल महके दिल में फिर शम्में जली,
फिर तसव्वुर ने लिया उस बज़्म में जाने का नाम… ! !
आँख जो कुछ देखती है लब पे आ सकता नहीं,
महव-ए-हैरत हूँ कि दुनिया क्या से क्या हो जाएगी… ! !
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उसने हर नशा सामने लाकर रख दिया और कहा,
सबसे बुरी लत कौन सी हैं, मैने कहा तेरे प्यार की… ! !
क्यों मदहोश करती है मुझे मौजूदगी तेरी,
कहीं मुझे तुमसे प्यार तो नहीं हो गया… ! !
नए रिश्ते जो न बन पाएं तो मलाल मत करना,
पुराने टूटने न पाएं बस इतना ख्याल रखना… ! !
लम्हे फुर्सत के आएं तो, रंजिशें भुला देना दोस्तों,
किसी को नहीं खबर कि सांसों की मोहलत कहाँ तक है… ! !
मैं गलती करूँ तब भी मुझे सीने से लगा ले,
कोई ऐसा चाहिये जो मेरा हर नखरा उठा ले… ! !
याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब,
कुछ भूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है… ! !
रहते हैं आस-पास ही लेकिन साथ नहीं होते,
कुछ लोग जलते हैं मुझसे बस खाक नहीं होते… ! !
देख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना,
नफरत बता रही है तूने मोहब्बत गज़ब की थी… ! !
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तरस आता है मुझे अपनी मासूम सी पलकों पर,
जब भीग कर कहती है की अब रोया नहीं जाता… ! !
पढ़ रहा हूँ मै इश्क़ की किताब ऐ दोस्तों,
ग़र बन गया वकील तो बेवफाओं की खैर नही… ! !
याद आयेगी हमारी तो बीते कल की किताब पलट लेना,
यूँ ही किसी पन्ने पर मुस्कराते हुए हम मिल जायेंगे… ! !
तुम्हारी याद की खुशबू मेरे दामन से लिपटी है,
बड़ा अच्छा सा लगता है तुम्हें ही सोचते रहना… ! !
खेलने दो उन्हे जब तक जी न भर जाए उनका,
मोहब्बत चार दिन कि थी तो शौक कितने दिन का होगा… ! !
अगर तुमसे कोई पूछे बताओ ज़िन्दगी क्या है,
हथेली पर जरा सी राख़ रखना और उड़ा देना… ! !
तारे और इंसान में कोई फर्क नहीं होता,
दोनो ही किसी की ख़ुशी के लिऐ खुद को तोड़ लेते हैं… ! !
कुछ यूँ उतर गए हो मेरी रग-रग में तुम,
कि खुद से पहले एहसास तुम्हारा होता है… ! !
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उनसे कहना अपनी किस्मत पे गुरूर अच्छा नहीं होता,
हम ने बारिश में भी जलते हुए घर देखे हैं… ! !
नहीं मालूम हसरत है या तूँ मेरी मोहब्बत है,
बस इतना जानता हूँ कि मुझको तेरी जरूरत है… ! !
बात वफ़ाओ की होती तो कभी न हारते,
बात नसीब की थी कुछ ना कर सके… ! !
हर पल में प्यार है हर लम्हे में ख़ुशी है,
खो दो तो याद है जी लो तो ज़िन्दगी है… ! !
बहुत दूर है तुम्हारे घर से हमारे घर का किनारा,
पर हम हवा के हर झोंके से पूछ लेते हैं क्या हाल है तुम्हारा… ! !
तोड़ा कुछ इस अदा से तालुक़ उस ने ग़ालिब,
कि सारी उम्र हम अपना क़सूर ढूँढ़ते रहे… ! !
उसकी आंखे इतनी गहरी थी की,
तैरना तो आता था मगर डूब जाना अच्छा लगा… ! !
खोजती है निग़ाहें उस चेहरे को,
याद में जिसकी सुबह हो जाती है… ! !
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लकड़ी के मकानों में चिरागों को न रखिये, अपने भी यहाँ आग बुझाने नहीं आते… ! !
खेलना अच्छा नहीं किसी के नाज़ुक दिल से,
दर्द जान जाओगे जब कोई खेलेगा तुम्हारे दिल से… ! !
ऐ चाँद चला जा क्यूँ आया है तूँ मेरी चौखट पर,
छोड़ गया वो शख्स जिस के धोखे मे तुझे देखते थे… ! !
ज़माने में बस ये दो हादसे नही होते,
हम तुमसे जुदा और तुम हमारे नही होते… ! !
तेरी याद में मेरी कलम भी रो पड़ी तूँ ही बता,
मैं कैसे कह दूँ कि मुझे तुझसे मोहब्बत नहीं… ! !
खुश हूँ कि मुझको जला के तुम हँसे तो सही,
मेरे न सही किसी के दिल में बसे तो सही… ! !
रब ना करें इश्क़ की कमी किसी को सताए,
प्यार करो उसी से जो तुम्हें, दिल की हर बात बताये… ! !
कोई मजबूरी होगी जो वो याद नहीं करते,
सम्भल जा ऐ-दिल तुझे तो रोने का बहाना चाहिए… ! !
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